शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

विचार

सभी फेसबुक मित्रों से आग्रह है की पोस्ट करते समय भावना में न बन्हे  सही तथा दें /ताकि आप और आपका परिवार नाहक परेशां न हो /क्योंकि हम पोस्ट करके किसी   व्यक्ति के निजी जीवन में दखल नहीं दे सकते /साथ ही उसके सार्वजनिक जीवन में शालीन भाषा का ही इस्तेमाल  कर सकते हैं या करना चाहिय  /

सोमवार, 16 जुलाई 2012

जनाब शिक्षक

समाज में आज भी शिक्षकों को खाश तवज्जो दी जाति है /हाँ इसके साथ ही यह कदापि उस व्यक्ति की नहीं बल्कि उसके हुनर और क़ाबलियत को तारीफ मिलती है /लेकिन आज यक़ीनन हुनर ही परेशां है /सरकारी हुकुमरान उनके क़ाबलियत की किस्सा कुछ और ही सुनना या सुनाना चाहते हैं /काबिल लोगों से ऐसे काम लिए जाने लगें हैं /की उनकी अपनी तारीफ ही ख़ुद से शिकायत करने लगें हैं /कंहा बादशाह सलामत उनका खैर मकदम करते थे /और उन्हें ही खैर के लिए परेशां होना पर रहा है /उनका पेशा अपनी मंजिल की तलाश में है/अब कोई मशीहा ही तर्रकी कर उनकी शान लौटा सकता है /
बेचारे शिक्षक अपनी जानिब के लिए परेशां रहते हैं /कोई न तो उनके सलामती का हल पूछता है नही कोई खैर मकदम /उन्हें तन्खवाह की मोटी रकम जरुर मिलती है उनकी शान में कमी खलती है
यह मुल्क के लिए खैरियत का पैगाम नहीं है बल्कि आने वाले नस्ल के लिए परेशानियों का शबब /

शनिवार, 12 मई 2012

क्या यह सही है ?

हम कल्पना पालते हैं ,बढ़ाते हैं ,यही कल्पना हमारे लिए मुसीबत बन जाती है जब /
हम वास्तविक से हटकर इसके सहारे जीने की आदत डाल लेते हैं /क्या यही सही है ???????
क्या यह सही है ?कुछ लोगों का मानना है की यह सही है /क्योंकि वास्तविक जीवन क्या और कैसा है किसी ने देखा नहीं /तो फिर क्यों न खुशी से जियें वास्तविक हो या काल्पनिक /खुश रहें और खुश रखें /इसके लिए कुछ नहीं /
एक सिद्धांत अपनाये ' जो मिले उनसे खुल कर मिलें /कल्पना ही सही ?लेकिन पुरे मन से//
पल भर के लिए प्यार कर ले झुटा ही सही ______________/
अंत में क्या यह सही है ???????????

सोमवार, 21 मार्च 2011

वक्त

हम पीछे मुरकर देखते हैं
तो बहुत सी चीजें ----- आती है
उसमे सबसे -- पहले अपना
अतीत के उस पन्ना को देखना चाहते हैं जो सुखद होता है
फिर मायुश हो जाते हैं
सोचते हैं और उसमे खो जाते हैं
इक्छा होती है और खोने कि
परन्तु विवश हो जाते हैं
तब जब सुखद
अहसास दुःख देने लगती है
फिर लौटना चाहते हैं
सपने कि भातिं
यह उधेरबुन --- जारी रहता है -----

सोमवार, 22 नवंबर 2010

वह पास नहीं थी

वह पास नहीं थी
करीब थी ऐसा लगता था
वह दूर थी फिर भी
नजदीक लगती थी
उसकी सोच
अपनी लगती थी
उसकी भूल
अपनी गलती लगती थी /
वह सम्बन्ध तोड़ दी
फिर भी सपना लगता था
उसके साथ की रातें
बिलकुल अपना लगता था
वह दूर थी फिर भी
पास लगती थी //

रविवार, 1 अगस्त 2010

गुनाहगार

मैं किस किस का नाम गिनाऊं
न वे रहे और न उनका नाम
थोरी सी रह गयी अदा /
वह अफसोस करने कि
आखिर न बदला मैं
और न वे लोग
बदला तो वह वक्त
जो है सबका गुनाहगार //

शनिवार, 10 जुलाई 2010

दिल

basant: दिल: "आँखे सच बोलती
लेकिन आंसुओ ने बहला दिया
जब तक आप सच समझते
किसी ने आपको बहका दिया
लेकिन
ना समझ दिल ने हमको अपना लिया"